History of India |
1. नादिरशाह(ईरान का नेपोलियन) ने 1739 ई. में दिल्ली पर आक्रमण किया। उस समय दिल्ली का शासक मोहम्मदशाह(रंगीला बादशाह) था। इसने 70 Cr. की धनराशि और शाहजहां का बनवाया हुआ तख्ते ताऊस तथा कोहिनूर हीरा लेकर फारस वापस लौटा।
2. शाह आलम-II (अली गौहर) के शासनकाल में 1803 ई. में अंग्रेजों ने दिल्ली पर कब्जा कर लिया।
3. पानीपत का III युद्ध 1761 ई. में मराठा एवं अहमद शाह अब्दाली (अहमद खां) की सेना के बीच हुआ। इसमें मराठों की हार हुई।
4. बहादुरशाह-II (जफर) अंतिम मुगल सम्राट था। 1857 ई. की क्रांति में भाग लेने के कारण अंग्रेजों द्वारा बंदी बना लिया गया तथा रंगून भेज दिया गया।
5. 17 मई, 1498 में वास्को-डि-गामा ने कालीकट में अब्दुल मजीद से मिला।
6. 1505 ई. में फ्रांसिस्को द अलमेडा भारत में प्रथम पुर्तगाली वायसराय बनकर आया।
7. 1509 ई. मैं अलफांसो द अल्बूकर्क भारत में पुर्तगालियों का वायसराय बना इसने 1510 ई. में बीजापुर के युसूफ आदिलशाह से गोवा को जीता।
8. पुर्तगालियों के बाद भारत में डच लोग आए। पहला डच यात्री कार्नेलियन हाउटमैन 1596 ई. में आया।
9. वेदरा युद्ध 1759 ई. मैं डच और अंग्रेजो के बीच हुआ जिसमें डच की हार और अंग्रेजों की जीत हुई।
10. 31 Dec. ,1600 ई. को इंग्लैंड की रानी एलिजाबेथ प्रथम ने ईस्ट इंडिया कंपनी को अधिकार पत्र प्रदान किया।
11. मुगल दरबार में जाने वाला प्रथम अंग्रेज कैप्टन हॉकिंस था, जो जेम्स प्रथम का राजदूत था।
12. भारत आने वाला पहला अंग्रेजी जहाज रेड ड्रैगन था।
13. जहांगीर ने 1613 ई. में एक फरमान जारी कर अंग्रेजों को सूरत में थॉमस एल्डवर्थ के अधीन फैक्ट्री खोलने की इजाजत दी।
14. 1615 ई. में सम्राट जेम्स-I ने ‘सर टॉमस रो’ को अपना राजदूत बनाकर मुगल सम्राट जहांगीर के दरबार में भेजा।
15. गोराल्ड औंगियर (1669-77) (सूरत का प्रेसिडेंट एवं मुंबई का गवर्नर) ने मुंबई शहर की स्थापना की।
16. प्रथम कर्नाटक युद्ध (1746-48)। 1748 ई. में हुई ए-ला-शापल की संधि के द्वारा ऑस्ट्रिया का उत्तराधिकार युद्ध समाप्त हो गया।
17. द्वितीय कर्नाटक युद्ध (1749-54)। इस युद्ध में फ्रांसीसी गगवर्नर डूप्ले की हार हुई। पांडिचेरी की संधि के साथ युद्ध विराम हुआ।
18. तृतीय कर्नाटक युद्ध (1756-63)। पेरिस की संधि होने पर युद्ध समाप्त हुआ।
19. 1740 ई. के गिरिया के युद्ध में सरफराज को मारकर बिहार के सर सूबेदार अलीवर्दी खां बंगाल का नवाब बना। इसका उत्तराधिकारी इसका दामाद सिराजुद्दौला हुआ।
20. 20 जून 1756 को कालकोठरी की त्रासदी नामक घटना घटी।
21. पलासी (भागीरथी नदी के किनारे) का युद्ध 23 जून 1757 को अंग्रेजों के सेनापति रॉबर्ट क्लाइव एवं बंगाल के नवाब सिराजुद्दौला के बीच हुआ जिसमें नवाब अपने सेनापति मीर जाफर की धोखाधड़ी करने के कारण पराजित हुआ।
22. मीर जाफर को अंग्रेजों ने 1760 ई. में हटाकर उसके दामाद मीर कासिम को बंगाल का नवाब बनाया। मीर कासिम ने अपनी राजधानी को मुर्शिदाबाद से मुंगेर स्थानांतरित किया।
23. बक्सर का युद्ध 1764 ई. में अंग्रेजों एवं मीर कासिम, अवध के नवाब शुजाउदौला एवं मुगल सम्राट शाह आलम-II के बीच हुआ। इस युद्ध में भी अंग्रेज विजय हुए। इस युद्ध में अंग्रेज सेनापति हेक्टर मुनरो था।
24. बंगाल के नवाब
(i) मुर्शिद कुली खां (1713-27)
(ii) शुजाउद्दीन (1727-39)
(iii) सरफराज खां (1739-40)
(iv) अलीवर्दी खां (1740-56)
(v) सिराजुद्दौला (1756-57)
(vi) मीर जाफर (1757-60)
(vii) मीर कासिम (1760-63)
(viii) मीर जाफर (1763-65)
(ix) निजाम उद्दौला (1765-66)
(x) शैफ उद्दौला (1766-70)
(xi) मुबारक उद्दौला (1770-75)
25. 1761 ई. में हैदर अली मैसूर का शासक बना। हैदर अली का उत्तराधिकारी उसका पुत्र टीपू सुल्तान हुआ। टीपू सुल्तान को शेर-ए-मैसूर कहा जाता था।
26. (I) प्रथम आंग्ल मैसूर युद्ध (1767-69) = मद्रास की संधि
(II) द्वितीया आंग्ल मैसूर युद्ध (1780-84) = मंगलोर की संधि (वारेन हेस्टिंग्स)
(III) तृतीय आंग्ल मैसूर युद्ध (1790-92) = श्रीरंगपट्टनम की संधि (कार्नवालिस)
(IV) चतुर्थ आंग्ल मैसूर युद्ध (1799) = लॉर्ड वेलेजली
27. सिक्खों के गुरु :
(a) पहले = गुरु नानक [गुरु का लंगर, संगत (धर्मशाला)]
(b) दूसरे = गुरु अंगद (लहना) [गुरुमुखी लिपि] (1539-52)
(c) तीसरे = गुरु अमरदास [22 गद्दीयो की स्थापना की]
(d) चौथे = गुरु रामदास [अमृतसर नामक जलाशय, अमृतसर नगर] (1574-81)
(e) पांचवें = गुरु अर्जुन [धार्मिक ग्रंथ (आदिग्रंथ) गुरु ग्रंथ साहब, अमृतसर जलाशय के मध्य में हरमंदर साहब का निर्माण] (1581-1606)
(f) छठे = गुरु हरगोविंद [सिखों को सैन्य संगठन तथा अकाल तख्त या ईश्वर का सिंहासन का निर्माण, अमृतसर की किलेबंदी] (1606-45)
(g) सातवे = गुरु हरराय (1645-61)
(h) आठवें = गुरु हरकिशन (1661-64)
(i) नौवें = गुरु तेगबहादुर [इन्हें शीशगंज गुरुद्वारा के निकट मरवा दिया] (1664-75)
(j) दसवें = गुरु गोविंद सिंह [अपने को सच्चा पादशाह कहा, सिखों के लिए पांच ककार अनिवार्य किया- केश, कंघा, कृपाण, कच्छा, कड़ा, नाम के अंत में सिंह शब्द जोड़ने के लिए कहा, खालसा पंथ की स्थापना की, पाहुल प्रणाली, आदिग्रंथ को वर्तमान रूप दिया और कहा कि अब ‘गुरुवाणी’ सिख संप्रदाय के गुरु का कार्य करेगी] (1675-1708)
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