उत्तर. 1. गति हीन अर्थव्यवस्था = अर्थव्यवस्था जिसमें आए मैं बहुत कम या कोई भी वृद्धि नहीं होती है। 1860-1945 तक प्रति व्यक्ति आय की वृद्धि केवल 0.5% प्रतिवर्ष तथा 1925-1950 की अवधि तक यह 0.1% प्रतिवर्ष थी।
2. अर्ध-सामंती अर्थव्यवस्था = स्वतंत्रता प्राप्ति के समय भारतीय अर्थव्यवस्था न तो पूर्ण रूप से सामंती थी और न ही पूंजीवादी। यह एक मिश्रित या अर्ध-सामंती अर्थव्यवस्था थी।
3. पिछड़ी हुई अर्थव्यवस्था = स्वतंत्रता प्राप्ति के समय भारतीय अर्थव्यवस्था एक पिछड़ी हुई अर्थव्यवस्था थी। इसमें प्रति व्यक्ति आय बहुत कम होती है।
4. आधारिक संरचना का कम विकास = आधारिक संरचनात्मक विकास (जिसमें संचार और परिवहन के साधन,बिजली/ऊर्जा का उत्पादन शामिल है) अत्यधिक निम्न था।
5. आयात पर भारी निर्भरता = देश को मशीनरी और उत्पादन के अन्य उपकरणों के लिए आयात पर निर्भर रहना पड़ता था। देश के सशस्त्र बल भी अधिकांश रक्षा उपकरणों के लिए विदेशी आयात पर बहुत अधिक निर्भर थे।
6. अनियंत्रित निर्धनता = जनसंख्या का बड़ा भाग बहुत निर्धन था। लोग एक दिन में दो वक्त का भोजन भी प्राप्त नहीं कर पाते थे। उनके पास निवास और वस्त्रों का अभाव था।
प्रश्न 2. स्वतंत्रता के समय कृषि क्षेत्र की विशेषताएं लिखिए?
उत्तर 1. निम्न उत्पादन एवं उत्पादकता = उत्पादन से अभिप्राय कुल पैदावार से है, जबकि उत्पादकता का तात्पर्य प्रति हेक्टेयर भूमि के उत्पादन से हैं। इसी भांति सन् 2017-18 की तुलना में सन् में गेहूं के उत्पादन का स्तर लगभग 15.6 गुना था।
2. अनिश्चितता की अधिक मात्रा = कृषि में अधिक मात्रा में अनिश्चितता पाई जाती थी क्योंकि इसकी वर्षा पर निर्भरता बहुत अधिक थी। ब्रिटिश शासन काल में ऐसा कोई भी प्रयत्न नहीं किया गया जिससे कि सिंचाई के स्थाई साधनों का विस्तार संभव हो सके।
3. भूमि के स्वामी तथा उसे जोतने वाले किसानों के बीच खाई = भू-स्वामियों का एकमात्र उद्देश्य लगान आए (फसल के हिस्से के रूप में) को अधिकतम करना था। उससे वे केवल अपना निर्वाह कठिनता से ही कर पाते थे।
4. छोटी एवं खंडित जोते = जोते छोटी होने के साथ खंडित थी। तदनुसार अधिकांश जोते अनार्थिक थी जिन पर उच्च लागत पर कम उपज होती थी।
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